बहुत से लोगों को पुत्र या पुत्री की चाह होती है. आज इस आर्टिकल में हम आपको पुत्र या पुत्री पैदा करने के उपाय के बारे में बताने जा रहे है.
पुत्र या पुत्री पैदा करने के उपाय
जिस दिन से स्त्री रजस्वला हो, उस दिन से 16 रात तक वह ऋतूमयी कहलाती है. इस समय को ऋतूकाल और पुष्पकाल भी कहते है. इन 16 रातों में ही गर्भ ठहर सकता है. इनके बीत जाने पर गर्भाशय का मुंह बंद हो जाता है अत: बाद में गर्भ नहीं रहता. यदि व्यक्ति को पुत्र की इच्छा है तो वह चौथी, छठी, दसवीं और बाहरवीं रात्रियों में में सम्भोग करें.
इन पांच रात्रियों को सम रात्रि करते है. यदि कन्या पैदा करने के इच्छुक हों तो पांचवीं, सातवीं, नौवीं और ग्याहरवीं रात्रियों में सम्भोग करना चाहिए. इन चारों रातों को विषम रात्रियाँ कहते है.
सुश्रुत में लिखा है है की शुक्र की अधिकता से लड़का पैदा होता है और स्त्री के रज की अधिकता से कन्या होती है. सम रात्रियों में स्त्री के रज की प्रबलता नहीं होती जबकि विषम रात्रियों में स्त्री के रज की प्रबलता रहती है. इसी कारण सम रात्रियों में सम्भोग से पुत्र और विषम रात्रियों में कन्या पैदा होती है.