भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण को 24 साल तक की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद में जासूसी कांड के बरी कर दिया है.
क्यों हुआ ये मामला?
1994 में सुर्खियों में रहा मामला भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के कुछ गोपनीय दस्तावेज दूसरे देश को भेजने से संबंधित था. इस मामले में 2 वैज्ञानिक और मालदीव की 2 महिलाओं सहित चार अन्य शामिल बताए गए थे. शुरू में राज्य पुलिस ने मामले की जांच कर रही थी बाद में सीबीआई को सौंप दिया गया जिन्होंने यह बताया की इसमें कोई जासूसी नहीं हुई है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को उसकी गिरफ्तारी और प्रताड़ना के अनावश्यक और मानसिक कुर्ता करार दिया है. राज्य सरकार ने 8 सप्ताह के भीतर पूर्व वैज्ञानिक को 50 लाख रुपए और मुआवजा भुगतान करने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा जस्टिस ने शुक्रवार को कार्य क्षेत्र से पूर्व वैज्ञानिक के साथ हुई पुलिस कार्रवाई साइको पैथलॉजीकल ट्रीटमेंट थी. इसी विवाद के कारण तत्कालीन CM करुणाकर को इस्तीफा देना पड़ा था
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