अल्ट्रासाउंड में उच्च आवृत्ति की ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल करके शरीर के अंदर की तस्वीरें निकाली जाती है. अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी सुरक्षित स्कैन होते हैं क्योंकि इनमें भी किरणों की जगह ध्वनि तरंगों या गूंज का इस्तेमाल किया जाता है. अल्ट्रासाउंड की मदद से शरीर में चीरा दिए बिना ही अंदरूनी अंगो वाहिका और कोशिका आदि से संबंधित समस्याएं देख सकते हैं इसीलिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है. आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की अल्ट्रासाउंड क्या होता है और इसके कितने रुपए लगते है? और इसके द्वारा किन किन बीमारियों और रोगों का पता लगाया जा सकता है. अदरक के 10 नुकसान

अल्ट्रासाउंड क्या होता है?
अल्ट्रासाउंड से शरीर में हो रही गतिविधियों की तस्वीरें बनाने के लिए इसमें ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है. इस उपकरण जिसे ट्रांसड्यूसर कहा जाता है. इस आवृति की ध्वनि छोड़ता है जो कानों को सुनाई नहीं पड़ती है जैसे ही ध्वनि तरंगें नर्म उसको वह अंगों का आकार प्रकार और सत्यता को निर्धारित करने के लिए उठा लिया गतिविधि करती है तो उसे गुंज की मदद से रिकॉर्ड किया जाता है.
सारी जानकारी उसे कंप्यूटर को भेज दी जाती है जो इन जानकारियों की तस्वीर स्क्रीन पर दिखाता है. यह टेस्ट कैसे करना है इसके लिए अल्ट्रासाउंड के तकनीशियन को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. अल्ट्रासाउंड स्कैन कई प्रकार के होते हैं जो इस पर निर्भर करते हैं कि शरीर के किस हिस्से को स्कैन किया जाना है और क्यों इसे मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं.
- बाहरी अल्ट्रासाउंड स्कैन इसमें प्रोब के ऊपर घूमता है.
- आंतरिक अल्ट्रासाउंड स्कैन इसमें प्रोब को शरीर के अंदर डाला जाता है.
- एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाऊंड स्कैन इसमें प्रोब को एक लंबी, पत्नी और लचीली ट्यूब के सिरे पर जोड़ा जाता है और उसे शरीर के अंदर भेज दिया जाता है.
अल्ट्रासाउंड के प्रकार
- डॉपलर अल्ट्रासाउंड
- प्रसूति अल्ट्रासाउंड
- 3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड
- एकोकार्डियोग्राम अल्ट्रासाउंड
- कैरोटिड अल्ट्रासाउंड
- ट्राँसवजैनल अल्ट्रासाउंड
अल्ट्रासाउंड क्यों किया जाता है?
- गर्भावस्था अल्ट्रासाउंड तस्वीरें गर्भावस्था के दौरान कई काम आती है. शुरुआती दिनों में निर्धारित तिथियों को चेक करने जुड़वा आदि की उपस्थिति का पता करने और अस्थानिक गर्भधारण का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है. जन्म दोस्त जैसी समस्याओं का पता लगाने के लिए भी अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है.
- परीक्षण शरीर के अंगों को कोमल ऊतकों को प्रभावित करने वाले विभिन्न प्रकार की स्थितियों का प्रशिक्षण करने के लिए भी डॉक्टर अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल कर सकते हैं. इन स्थितियों में रक्त वाहिकाओं, लीवर, पित्ताशय की थैली, अग्नाशय, गुर्दे, मूत्राशय, गर्भावस्था, अंडाशय, थायराइड और अंडकोष को प्रभावित करने वाली समस्याएं शामिल है.
- मेडिकल प्रक्रिया के दौरान इस्तेमाल अल्ट्रासाउंड इमेजिंग कुछ मेडिकल प्रक्रियाओं के दौरान भी डॉक्टरों की मदद करता है जैसे सुई बायोप्सी क्योंकि इस प्रक्रिया में डॉक्टरों को बहुत ही क्षेत्र से उसको का सैंपल निकालना होता है जिसे लैब में टेस्ट किया जाता है.
- थैरेपीयूटिक एप्लीकेशन अल्ट्रासाउंड में लगी चोट को ढूंढने के लिए भी किया जा सकता है.
अल्ट्रासाउंड से पहले क्या किया जाता है?
अल्ट्रासाउंड से पहले की तैयारी डॉक्टर द्वारा बताए गए अल्ट्रासाउंड के प्रकार पर निर्भर करती है. बेहतर तस्वीरें प्राप्त करने के लिए अल्ट्रासाउंड से पहले कुछ तैयारियां भी की जाती है जिनमें से निम्नलिखित है.
- अल्ट्रासाउंड करवाने से पहले पानी पीना बहुत जरुरी है. उस दिन डॉक्टर आपको टेस्ट से पहले 1 लीटर के करीब पानी पीने की सलाह दे सकता है.
- 22 के कुछ घंटे पहले कुछ खाने से बचना अगर अल्ट्रासाउंड स्कैन पाचन प्रणाली का किया जा रहा है. जिसमें लीवर और पित्ताशय की थैली भी शामिल है तो उसके से कुछ घंटे पहले तक कुछ भी खाने से बचना चाहिए. ताकि अल्ट्रासाउंड की तस्वीरें अच्छी तरह से आ सके.
- अल्ट्रासाउंड के दौरान ज्यादातर अल्ट्रासाउंड केंद्रों में 15 से 45 मिनट तक का समय लगता है लेकिन कुछ अल्ट्रासाउंड ऐसे भी हैं जिन्हें अधिक समय लगता है. यह अक्सर अस्पताल के रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में या तो एक रेडियोलॉजिस्ट या सोनोग्राफर द्वारा किए जाते हैं.
- अल्ट्रासाउंड स्कैन के दौरान मरीज को एक मेज पर पीठ के बल लेटने को कहा जाता है. शरीर का जो हिस्सा स्कैन करना होता है. उसको छोड़कर बाकी के शरीर को कंबल से ढक दिया जाता है.
- शरीर के जिस हिस्से का अल्ट्रासाउंड करना है. उस पर अल्ट्रासाउंड करने वाले कर्मचारी एक विशेष प्रकार जेल लगा देते हैं. जिससे शरीर को प्रोब के बीच अच्छा संपर्क बन जाता है. इसके बाद स्केनर को हाथ में हाथ से जेल पर रखा जाता है और क्षेत्र को स्कैन करने के लिए उसे इधर उधर फिरते हैं. कभी-कभी स्केनर को फैलने के साथ दबाने की भी जरूरत पड़ती है. जिससे थोड़ी तकलीफ होती है हालांकि दर्द नहीं होता है.
- अल्ट्रासाउंड के दौरान मरीज को अपनी पोजीशन बदलनी पड़ती है ताकि तकनीशियन भी ठीक से स्कैन कर पाए हालांकि यह इस पर निर्भर करता है कि शरीर के किस भाग का स्कैन किया जा रहा है.
- स्कैन पूरा होने के बाद अल्ट्रासाउंड कर्मचारी आपको जेल साफ करने के लिए कुछ दे सकते हैं और जब तक तस्वीरों की जांच ना करें इंतजार करने के लिए भी कह सकते हैं.
अल्ट्रासाउंड के बाद क्या किया जाता है?
अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जेल को शरीर से हटा दिया जाता है. सारी प्रक्रिया पूरी होने के लगभग 30 मिनट का समय लगता है लेकिन यह परीक्षण किए जाने वाले क्षेत्र पर भी निर्भर करता है. यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद मरीज अपनी रोजाना की गतिविधि क्या कर सकता है. अधिकतर मामलों में अल्ट्रासाउंड के बाद कोई दुष्प्रभाव नहीं होता टेस्ट होने के तुरंत बाद मरीज अपने घर जा सकता है, अगर स्कैन के दौरान किसी शाम दवा आदि का इस्तेमाल नहीं किया गया हो तो उसके पूरा होने के तुरंत बाद खाना पीना वे ड्राइव आदि कर सकते हैं.
जिन लोगों को एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड किया जाता है. उनको रिलैक्स रखने के लिए चमक दवाएं दी जाती है इसीलिए आम तौर पर उन मरीजों को कुछ घंटे अस्पताल में रुकने की भी सलाह दे सकते हैं. जब तक की दवाइयों का असर खत्म ना हो सके मरीज को अस्पताल ले जाने और घर लाने के लिए तथा टेस्ट के बाद अगले 24 घंटे तक एक सहायक की आवश्यकता होती है. इन 24 घंटों तक मरीज को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और ना ही ड्राइव ना ही कोई मशीन चलानी होती है ना ही कोई कार्य करना होता है.
अल्ट्रासाउंड कब करवाना चाहिए?
अल्ट्रासाउंड का उपयोग सबसे अधिक गर्भावस्था के लिए होता है. यह स्किन गर्भवती मां को अपने अजन्मे बच्चे का पहला दृश्य प्रदान करता है हलांकि अल्ट्रासाउंड के अन्य कई उपयोग भी हैं. अगर आपको सूजन दर्द या अन्य ऐसे लक्षण हैं. जिनमें शरीर के अंदरूनी अंगों को देखने की जरूरत पड़ती है तो डॉक्टर आपको अल्ट्रासाउंड करवाने का आदेश दे सकता है. अल्ट्रासाउंड कीमत में निम्न चीजें देखी जा सकती है.
- मूत्राशय मस्तिक शिशुओं में
- आंखें
- पित्ताशय
- गुर्दे
- लिवर
- अंडाशय
- अग्नाशय
- प्लीहा
- थायराइड
- अंडकोष
- गर्भाशय
- रक्तवाहिकाएं
बायोप्सी जैसे कुछ मेडिकल प्रक्रियाओं के दौरान अल्ट्रासाउंड सर्जरी करने वाले डॉक्टरों को भी मार्गदर्शन करने में भी मदद करता है.
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अल्ट्रासाउंड के कितने रुपए लगते हैं
अल्ट्रासाउंड लगभग ₹800 से शुरू हो जाते हैं. अल्ट्रासाउंड के टाइप बेस पर भी इनके प्राइस अलग अलग हो सकते हैं. यह कई प्रकार के होते हैं जिनके प्राइस भी अलग-अलग होते हैं.
Final Words
आज हमने इस आर्टिकल में आपको अल्ट्रासाउंड क्या होता है और इसके कितने रुपए लगते हैं इसके बारे में बताया. अगर आपको इसके बारे में कुछ और जानना है तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में भी कमेंट करके पूछ सकते हैं.