मानव शरीर में अनेक रोग केवल इसलिए जन्म ले लेते हैं कि हम उनको रोकने का प्रयास नहीं करते। प्रकृति ने हर रोग का उपचार बिना किसी धन खर्च करके ही मानव जाति को उपलब्ध करवाया है। अदरक सौंठ से काफी रोगों का इलाज किया जा सकता है.
यह जड़ीबूटियाँ, साग-सब्जियाँ फल उन्हीं औषधियों का ही एक भाग हैं। उनमें से ही एक अदरक भी है। जो इन बीमारियों के लिये सफल उपचार का साधन है-
अदरक सौंठ से रोगों का इलाज

पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिये
कई बार बदलते मौसम और गलत चीज़े खाने से मानव का पेट खराब होकर उसकी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। उसे ठीक से भूख नहीं लगती न ही खाना हजम होता है। ऐसे रोगियों के लिए :
1. 5 ग्राम अदरक छील कर बारीक काट लें। उसमें थोड़ा सा नमक, काली मिर्च (पिसी हुई ) नींबू का रस डालकर खाएँ। हो सके तो इसका सेवन खाना खाने के पश्चात् करें। 15 दिन तक इसका सेवन करने से पेट के सब रोग ठीक हो जाते हैं। भूख खूब लगने लगेगी।




2. सौंठ 10 ग्राम हींग 1 ग्राम काला नमक 1 ग्राम इन तीनों को लेकर बारीक कूट पीसकर अच्छी तरह से छान कर किसी शीशी में भर कर रखें। खाना खाने के पश्चात् एक-एक चम्मच दोनों समय ले लेने से पेट के सब कष्ट दूर हो जाते हैं।
पेट फूलता हो, गैस के कारण भारीपन होता हो तो अदरक 10 ग्राम लेकर उसे देसी घी में तल लें। उसमें नमक मिला कर खाना खाने के पश्चात् दोनों समय खाते रहें तो सब रोगों से मुक्ति मिलेगी।
हिचकी
1. हिचकी रोग में अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े करके उन्हें ज़बान पर रख कर चूसते रहें। इससे हर प्रकार की हिचकी ठीक हो जाएगी।
2. सौंठ को पीसकर दूध में उबाल लें फिर ठंडा होने पर हिचकी रोगी को पिला दें। इससे हिचकी रुक जाएगी।
तेज़ बुखार
जब बुखार अधिक तेज़ हो तो रोगी को पाँच ग्राम अदरक का रस 1 ग्राम शहद में मिलाकर खिला दें।
हर तीन घंटे के पश्चात् इसे सेवन करवाने से बुखार उतर जाता है।
मुँह की बदबू
आजकल बहुत से लोगों के मुँह से बदबू आनी शुरू हो जाती है। जिसके कारण वे लज्जित होकर किसी से बात तक करने से डरते हैं।
सब के लिये :
एक चम्मच अदरक का रस एक गिलास गर्म पानी।
अदरक के रस को पानी में मिला कर कुल्ले करें।
खाना खाने के पश्चात् और सुबह उठकर कुल्ले करने से मुँह की बदबू उड़ जाती है।
गठिया
10 ग्राम सौंठ (सूखा अदरक) 100 ग्राम पानी में उबालें।




जब पानी का चौथा भाग रह जाए तो उसे नीचे उतार कर उसमें शक्कर या शहद मिलाकर गठिया रोगी को दिन में दो बार पिलाते रहें।
शीघ्र ही गठिया और जोड़ो के दर्द से मुक्ति मिलेगी।
पसली का दर्द
पसली में दर्द होने पर 30 ग्राम सौंठ को कूट कर एक गिलास पानी में उबाल कर छान लें।
पसली के रोगी को दिन में चार बार पिसी हुई काली मिर्च डालकर सेवन करवाएँ।
खाँसी (गले की खराबी)
अदरक का रस 25 ग्राम शहद 15 ग्राम इन दोनों को मिला कर हल्का सा गर्म कर लें।
इसे किसी शीशे की बोतल में डालकर रखें।
खाँसी, नजला, जुकाम तथा गले के रोगियों के लिये दिन में चार बार एक बड़ा चम्मच पिलाते जाएँ।
कुछ दिनों के सेवन से सब ठीक हो जाएगा।
दाँतों के रोग, मसूड़ों की सूजन
अक्सर लोगों को दाँतों का रोग आ घेरता है। मसूड़ों की सूजन का उपचार यदि समय पर न किया जाए तो पूरे दाँतों के लिये खतरा बन सकता है। इस रोग से बचने के लिये :
सौंठ को पीस कर उसको छान लें। एक बड़ा चम्मच दिन में तीन बार सादा पानी के साथ उस समय तक सेवन करते रहें जब तक की मसूडों की सूजन समाप्त न हो जाए।
दिल की कमजोरी
दिल कमजोर हो या वह तेज़ी से धड़कता हो तो उस रोगी के लिए सौंठ को पानी में उबाल कर जब पानी उबल कर आधे से भी कम रह जाए तो नीचे उतार कर छान लें।
ठंडा होने पर उसमें थोड़ा नमक मिला कर दिन में तीन बार 10 दिन तक सेवन कराते रहें। दिल की धड़कन ठीक हो जाएगी।
लकवा (फालिज)
इस रोग से बचने के लिये उड़द की दाल 10 ग्राम देसी घी, 100 ग्राम गुड़, 10 ग्राम सौंठ, 10 ग्राम उड़द की दाल को कूट पीसकर देसी घी में भून लें फिर गुड़ और सौंठ को पीस कर उसमें अच्छी तरह से मिला कर फालिज के रोगी को दिन में तीन-चार बार खिलाने से फालिज का आक्रमण विफल किया जा सकता है।