आज इस आर्टिकल में हम आपको लहसुन से रोगों का इलाज – Garlic in Hindi के बारे में बताएंगे
- लहसुन की तासीर गर्म होती है। यह अधिकतर दाल सब्जियों में छौंका लगाने के काम आता है।
- कुछ लोग इसकी सब्जी भी बना कर खाते हैं।
- गैस रोगों का सबसे बड़ा शत्रु लहसुन को माना गया है।
- यहाँ पर हम आपको इस से होने वाले इलाज के बारे में बताने जा रहे है.
वैसे स्वास्थ्य के विद्वानों का यह मत है कि लहसुन का प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है।
इससे मर्दानाशक्ति काफी बढ़ती है। लहसुन द्वारा हम इन रोगों का उपचार कर सकते हैं:
लहसुन से रोगों का इलाज – Garlic in Hindi
दमा
लहसुन के बारे में अनेक डॉक्टरों विशेषकर होम्योपैथी के डाक्टरों का यह मत है कि लहसुन दमा रोगियों के लिये अति उपयोगी है। इसका उपयोग इस प्रकार से करें :
1. लहसुन का रस – कुछ कतरे
पानी – आधा गिलास
इन दोनों को मिलाकर रोगी को सुबह-शाम और सोते समय पिलाएँ।
कुछ दिनों के पश्चात् ही रोग कम होना शुरू हो जाएगा।
2. लहसुन की एक कली को भून लें। एक चुटकी नमक उसमें मिला लें।
दिन में दो बार इसका सेवन करने से कुछ दिनों के पश्चात् ही रोगी को आराम आना शुरु हो जाएगा।
3. गर्म पानी – एक कप
लहसुन का रस – 10 बूंदें
इन दोनों को मिलाकर दिन में तीन बार दमा रोगी को पिला दें।
शीघ्र ही आराम मिलने की आशा की जा सकती है। इन सब दवाइयों का तीस दिन का कोर्स होता है।
क्षय रोग (टी. बी.)
क्षय रोगियों के लिये लहसुन बहुत लाभदायक सिद्ध हुआ है। लहसुन के बारे में होम्योपैथी के प्रसिद्ध डाक्टर एन्शूज ने लिखा है कि- “जो लोग लहसुन का प्रयोग करते हैं उन्हें क्षय रोग हो ही नहीं सकता।
लहसुन के सेवन से ऐसे सब किटाणुओं का नाश हो जाता है जो क्षय रोग को फैलाते हैं।
क्षय रोगियों के लिये तो लहसुन एक वरदान है। क्षय रोग को दूर करने में लहसुन किसी अमृत से कम नहीं।”
क्षय रोगी को कैसे लहसुन दें?
गाय का दूध – 250 ग्राम
लहसुन 10 कलियां
लहसुन को गाय के दूध में धीमी आग में उबाल लें।
जब यह अच्छी तरह पक जाए तो उसे नीचे उतार कर लहसुन की कलियों को धीरे-धीरे चबाकर खाएँ।
खाने के पश्चात उस दूध में चीनी मिलाकर पी लें। एक मास तक इसे पीने से टी. बी. रोग दूर हो सकता है।
जुकाम
जुकाम होने पर तो लहसुन की पाँच कलियाँ छील कर दिन में चार बार ताजे पानी से सेवन करें।
गले की खराबी
गर्म पानी में लहसुन का रस नमक मिला कर गरारे करने से गले के सब रोग कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं।
निमोनिया
निमोनिया के रोगी को लहसुन का रस एक चम्मच गर्म पानी में ।
मिलाकर दो-तीन बार दो-दो घंटे पश्चात् देने से निमोनिया ठीक हो जाएगा।
काली खाँसी
खाँसी तो कैसी भी हो उसे गले की फाँसी ही कहा जाता है।
सबसे दुःख की बात यह होती है कि खाँसी का रोगी रात भर खाँसते-खाँसते बहुत दुःखी हो जाता है।
ऐसे में उसे नींद ही कहाँ आएगी। ऐसे रोगियों के लिये लहसुन का सेवन इस प्रकार से हो सकता है।
बादाम की गिरियाँ – पाँच गिरियां
लहसुन – 1 कली
मिश्री – थोड़ी-सी
1. बादाम की पाँच गिरियों को रात को भिगो कर रख दें।
सुबह उन्हें छोलकर उनमें लहसुन की कली को छीलकर उन दोनों को मिश्री के साथ मिक्स करके दो-चार कतरे शहद मिलाकर खाँसी के रोगी को तक खिला दें तो खाँसी में आराम आ जाएगा।
2. लहसुन का ताजा रस – 10 बूंद
शहद – 1चम्मच पानी
10 ग्राम इन तीनों को मिक्स करके खाँसी के रोगी को सुबह-शाम को सोते समय पिलाने से खाँसी शीघ्र ठीक होती है।
खुजली
लहसुन को नारियल के तेल में उबाल कर धूप में बैठ कर परेशान पर मालिश करें। खारिश-खुजली से आराम आ जाएगा।
दाँतों के रोग
दाँतों को नुकसान पहुँचाने वाले रोगों के नाम हैं:
पायोरिया, मसूड़ो का सूज जाना, दाँतों में दर्द होना, मुँह की बदब जो दांतों से पैदा होती है। इन सब रोगो का उपचार हम लहसुन द्वारा कर सकते हैं।
1. शहद – एक चम्मच
लहसुन का रस – 20 बूंद
इन दोनों को मिलाकर धीरे-धीरे इस प्रकार से चाटें कि वह रस सारे मुँह में फैलकर गले में जाए। दिन में दो तीन बार ऐसा करने से दाँतों का दर्द ठीक होना शुरू हो जाएगा।
2. सरसों का तेल – 50 ग्राम
लहसुन – 1 गट्ठा
अजवायन – 30 ग्राम
लहसुन की कलियों को छीलकर उन्हें तेल में अच्छी तरह से पका ले।
जब लहसुन अच्छी तरह से जल जाए तो उस बर्तन को नीचे उतार लें।
ठंडा होने पर उसे बारीक छलनी से छान लें।
फिर उसमें 30 ग्राम अजवायन भुन कर पीस कर मिला दें। अंत में 30 ग्राम सेंदा नमक मिला करमंजन तैयार कर लें.
सुबह-शाम दो समय इस मंजन को दाँतों पर मलने से दांतों के सब रोग दूर हो जाएँगे।
गंजापन
यह रोग इन दिनों तेजी से फैल रहा है। इस बढ़ते रोग की गति को देख कर ऐसा प्रतीत होता है आने वाले समय में हमें बालों वाले आदमी की तलाश करनी होगी। इसलिये आप अभी से इस रोग के उपचार के लिये तैयार हो जाएँ।
गंजे स्थान पर लहसुन के रस की मालिश सुबह-शाम दो समय करते रहें।
एक मास तक मालिश करने के पश्चात् बाल आने शुरू हो जाएँगे।
जुएँ
यह रोग अधिकतर औरतों को तंग करता है। इसका उपचार इस प्रकार से किया जा सकता है :
लहसुन का रस – 10 ग्राम
नीबू का रस – 10 ग्राम
इन दोनों को मिलाकर रात को सोते समय सिर पर मालिश करें। सुबह उठकर सिर धो डालें।
एक सप्ताह के अंदर ही सब जुएँ मर जाएँगी।
सिरदर्द
लहसुन को चंदन के साथ पीसकर इन दोनों का लेप तैयार करके कनपटियों और माथे पर लेप करें तो सिर दर्द ठीक हो जाएगा।
कानों के रोग
कान रोगी के लिये लहसुन को छील कर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। फिर उन्हें सरसों के तेल में डालकर उबाल लें।
ठंडा होने पर एक-एक कतरा दोनों कानों में डालते रहें। कानों के सब रोग भागते नज़र आएँगे।
कानों का बहना
जिन लोगो के कानों में से पीप या गाढ़ी मवाद निकलती हो:
तिल्ली का तेल – 5 ग्राम
सिन्दूर – 1 ग्राम
लहसुन – 1 गट्ठा
लहसुन को छील कर सिन्दूर तथा तेल के साथ मिलाकर इसका पर पकाएँ जब उसके अंदर का लहसुन जल जाए तो नीचे उतारकर बारीक छलनी से छान कर उसे शीशी में भर कर रखे।
कान रोगी में दो-दो बंदे उस तेल की डाल दें।
बस कुछ ही दिनों में कान का बन्द हो जाएगा।
पेट दर्द
लहसुन का रस एक चम्मच थोड़े से नमक के साथ सेवन करने पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
बुखार
लहसुन को छीलकर उसे कूट लें। फिर आधा गिलास ताज़ा पानी लेकर उसके साथ सेवन करने से बुखार उतर जाएगा।
लकवा (फालिज)
मानव शरीर को बेकार करने वाला ये रोग पूरे जीवन को ही नष्ट कर देता है। जान होते हुए भी मानव बेजान होता है।
यदि ऐसे रोगी का समय पर उपचार हो जाए तो वह रोग के कष्ट से बच भी जाता है।
यदि रोगी को 36 घंटे रोग में ही बीत जाएँ तो फिर उसका ठीक होना संभव नहीं। इसलिए जैसे भी किसी पर फालिज का आक्रमण हो तो:
1. छिला हुआ लहसुन पीस कर उसे दूध में उबाल कर खीर बना लें फिर नीचे उतारकर ठंडा करके रोगी को खिला दें।
दो-तीन बार के सेवन से ही रोग ठीक हो जाएगा।
2. 50 ग्राम लहसुन को पीसकर 500 ग्राम सरसों का तेल तथा दो लीटर पानी एक लोहे की कड़ाही लेकर इन सबको मिला लें। फिर उसे हल्की आँच पर गर्म करें। जब पानी जलकर आधा रह जाए तो उस उतारकर ठंडा करें।ठंडा होने पर उसे छान लें। उस तेल को किसी बोतल में डालकर रखे। प्रतिदिन उस अंग पर अच्छी तरह मालिश करें जो फालिज के कारण बेकार हो चुका है। एक मास तक इसे ऐसे ही मालिश करने से उसकी खोयी हुई शक्ति वापस आ जाएगी।
हृदय गति का रुकना (दिल का दौरा)
जब किसी मानव को दिल का दौरा पड़ जाए तो उसे उसी समय लहसुन की पाँच कलियाँ छीलकर चबाने को दें तो साँस एक दम से ठीक हो जाएगा। लहसुन दिल के दौरे को रोकता है।
बढ़ते दिल के रोगों को देखते हुए दिल के विशेषज्ञों ने जो नये-नये परीक्षण किए हुए हैं उनसे यह बात खुल कर हमारे सामने आई है कि दिल के दौरे का सबसे बड़ा कारण ‘कोलेस्ट्रोल’ ही है।कोलस्ट्रोल’ एक ऐसा चरबीदार पदार्थ है जो रक्त नलिकाओं में जाकर जम जाता है जिसके पहले तो ‘एयेरोस्कलेरासिस’ रोग होता है। और अंत में यह दिल के दौरे में बदल जाता है।
इसी विषय को लेकर –
लेबिया के. वेगाजी विश्व विद्यालय के पैथालाजिस्ट डॉ. आर. सी. जैन ने बताया है कि लहसुन से हम कोलेस्ट्रोल का प्रभाव कम कर सकते हैं।
एक और दिल के डॉक्टर अरुण बिडिया ने अपने परीक्षणों द्वारा यह निष्कर्ष निकाला है कि लहसुन हृदय रोग को रोकने में सफल हो सकता है।परीक्षण के तौर पर उन्होंने अपने रोगियों को मक्खन खाने को दिया फिर उसके हानिकारक प्रभावों की जाँच की तो परिणाम निकला कि-उनमें से अधिकतर रोगियों के शरीर में चर्बी बढ़ जाने से खून गाढ़ा हो गया है।
जिससे कोलेस्ट्रोल का बढ़ जाना, घमनियों का मोटा होना जैसे रोग उनमें बढ़ गए।
इसके पश्चात् डॉ. साहब ने सब रोगियों को इतने मक्खन के साथ पचास ग्राम लहसुन भी खाने को भी दिया।
अब की बार जब रोगियों का परीक्षण किया गया तो पता चला कि उन दिल के रोगियों पर किसी किस्म का भी
कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा।
दिल का दौरा
50 सी. सी. लहसुन के रस में एक बूंद मूल तत्त्व मिलता लहसुन के सारे गुण निहित होते हैं।
लहसुन के अंदर गंधक को एक यौगिक होता है। जिसमें अधिकतर डाईऐलिस, डाई सल्फाइड, ऐलिस.पोपार डाइसल्फाइड और पोलो सल्फाइड जैसे तत्त्व होते हैं।यह यौगिक रक्त पतला बनाए रखता है और धमनियों में जमे कोलेस्ट्रोल को निकालने काम करता है। हृदय रोग होने का असली कारण है :
हृदय की धमनियों में जमा होने वाला कोलेस्ट्रोल नाम का पदार्थ जिसके कारण घमनियाँ सिकड़ कर रोग ग्रस्त हो जाती हैं। इसके कारण घमनियों में रक्त का चलना धीमा हो जाता है जिससे हृदय का कार्य कठिन हो जाता है।वह अपना कार्य करने में बेबस हो जाता है। यह बात तो आपको पहले से बतायी जा चुकी है कि हृदय के आस-पास जमा होने वाला कोलेस्ट्रोल’ ही दिल के रोग का असली कारण है। इसे हम लहसन से बड़े आराम से दूर कर सकते हैं।
यह बात दिल रोग के बड़े-बड़े सर्जन मान चुके हैं।
स्वप्नदोष
लहसुन की एक कली छीलकर सादे पानी के साथ रात को सोते समय सेवन करने से स्वप्न दोष रोग से गुक्ति मिलती है।
नपुंसकता
आज लाखों युवक इस रोग के कारण थैला ब्रांड विज्ञापन छाप डॉक्टरों का शिकार बन रहे हैं।
यह एक ऐसा रोग है जिसे गुप्त रोग कहते हैं।
गुप्त रोग की आड़ में ही युवकों को लूटा जा रहा है जबकि यह रोग इतना बड़ा नहीं जितना इसका भ्रम बना दिया गया है। इस विषय के विद्वानों के मतानुसार लहसुन से हम नपुंसकता को दूर कर सकते हैं। कैसे?
यह जानने के लिए नीचे लिखे नुस्खे को पढ़ें:
1. 20 ग्राम लहसुन को देसी घी में तल कर प्रति दिन एक मास तक खाते रहने से नपुंसकता दूर हो जाती है।
2. लहसुन 200 ग्राम शहद आधा किलो लहसुन को पीसकर उसे छान लें फिर उसे शहद में अच्छी तरह से मिला कर किसी शीशे या चीनी के बर्तन में डालकर रखें। प्रतिदिन सुबह शाम एक-एक चम्मच खाते रहने से आपके शरीर में नयी शक्ति पैदा होने लगेगी।
लहसुन के विषय में यदि अलग से एक पुस्तक लिखी जाए तो भी इसके गुणों का पूरा विवरण पाठकों को न मिल पाएगा।
इस समय तो संक्षिप्त में ही अपको बताया जा सकता है।
लहसुन वास्तव में बहुत गुणकारी फल है। इसे भारत ही नहीं विदेशी स्वास्थ्य विद्वानों ने भी माना है।
इस विषय में मैं जापान के एक प्रसिद्ध स्वास्थ्य के विद्वान ‘योशियो कोटो’ (YOSHIO KATO) के विचार आपके सामने रख रहा हूँ जो उन्होंने अपनी पुस्तक ‘गालिर्क’ में प्रकट किए हैं :
पेट का कैंसर
यदि कोई भी आदमी अपने खाने में अधिक से अधिक लहसुन का सेवन करता है तो उसे कभी भी पेट का कैंसर नहीं हो सकता।यदि किसी को कैंसर हो भी जाए तो उसे लहसुन को पीसकर पानी में मिलाकर कुछ सप्ताह तक निरंतर पीना चाहिए।
इससे पेट का कैंसर ठीक हो सकता है।
प्रदूषण से बचने का तरीका
आज कल के बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हमें यह सोचना पड़ता है कि हमारा भविष्य क्या होने वाला है?
बड़े-बड़े शहरों में तो इसी प्रदूषण के कारण अनेक रोग जन्म ले रहे हैं।
इन रोगों से बचने के लिए लहसुन आपका सबसे सफल डॉक्टर सिद्ध हो सकता है।
खाना खाने के पश्चात् दो कली कच्चे लहसुन के चबाते रहने से अनेक बाहरी रोगों के कीटाणुओं का नाश होता है।
Final Words
- आज इस आर्टिकल में हमने आपको लहसुन से रोगों का इलाज – Garlic in Hindi के बारे में बताया।
- अगर आपको इसके बारे में और कुछ जानना चाहते है।
- तो निचे कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर के पूछ सकते है।
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